पशु पोषण बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। अगर किसान पशु पोषण पर ध्यान दे तो पशुओ में होने वाली बीमारियों व् हानियों से छुटकारा पाया जा सकता है अत: हर एक पशु पालक को पशु पोषण पर ध्यान देना चाहिए।
पशु पोषण मुख्य बातें :
1. दूध देने वाली गायों को उनके उत्पादन के अनुसार आहार और राशन की व्यवस्था करनी चाहिए। दुग्ध उत्पादन में प्रोटीन का बहुत महत्व है, क्योंकि प्रोटीन दूध का ही एक अंग है। प्रोटीन की प्राप्ति अरहर, चना, मटर, लोबिया, सोयाबीन, उड़द, मूंग, मसूर आदि दालों वाली फसलों से होती है।
2. पशु को जो आहार दिया जाय वह संतुलित तथा नियमित हो उसे दिन में दो बार चारा-दाना 8-10 घंटे के अन्तराल पर देना उचित होता है, जिससे पशु की पाचनक्रिया ठीक रहती है और बीच में जुगाली/पगुरी करने का समय मिल जाता है।
3. गर्भित पशु एवं दूध देने वाले पशु को 2-5 कि.ग्रा.तक प्रतिदिन हरा चारा अवश्य देना चाहिए।
4. प्रत्येक गाय को किसान भाई उनके प्रति 100 कि.ग्रा. शरीर भार पर 2-2.5 कि.ग्रा. शष्क पदार्थ देना चाहिए। भैंसों को 3 कि0ग्रा0 प्रति 100 कि0ग्रा0 शरीर भार पर।
5. एक गाय को लगभग 60 ग्राम नमक प्रतिदिन देना चाहिए एवं 30 ग्राम अस्थिचूर्ण या 60 ग्राम खड़िया मिलनी चाहिए।
6. पशु का आहार पौष्टिक, मुलायम, रूचिकर एवं स्वच्छ पदार्थो का बना होना चाहिए।
7. जहाँ तक संभव हो, पशुओं को दाना एवं बिनौला आदि भिंगोकर दिये जाएँ।
8. चारे के डंठल और जड़ों को चारे की मशीन से काटकर उपयोग में लाना चाहिए, इससे चारे में 30-40 प्रतिशत तक की बचत हो जाती है।
9. चारे में 1/2 भाग हरा चारा और 2/3 भाग सूखा चारा होना चाहिए। जो पशु चरने नहीं जाते हो उन्हें दिये जाने वाले भोजन में 2/3 भाग शुष्क पदार्थ का 1/3 भाग हरे चारे या साइलेज से पूरा करना चाहिए। यदि हरा चारा फलीदार हो तो यह मात्रा 1/2 होनी चाहिए।
10. पशुओं को भोजन में शुष्क/सूखे चारे की मात्रा 500 कि.ग्रा. के शरीर भार तक 2.5 प्रतिशत अर्थात् 100 कि.ग्रा.शरीर भार पर 2.5 कि.ग्रा. ड्राई मैटर देना होता है। और अगर पशु का शरीर भार 500 कि.ग्रा.से अधिक होने पर, उसे 3 कि.ग्रा. ड्राई मैटर देना चाहिए।
11. छोटे बछड़ों/बछियों को 100 कि.ग्रा. शरीर भार पर 2 कि.ग्रा. ड्राई मैटर देना होता है।
12. भोजन में दाना कि मात्रा उनके जीवन-यापन हेतु बछड़ा, बछिया तथा देशी गायों को 1 कि.ग्रा.प्रतिदिन एवं शंकर गाय, बैल और भैंस को 1.5 कि.ग्रा. प्रतिदिन के हिसाब से देना होता है। उसके बाद पशुओं की आवश्यकता के आधार पर दाना देते हैं।
13. उत्पादन दाना इसमें गाय के दूध उत्पादन पर 3 लीटर दूध पर प्रतिदिन 1 कि.ग्रा. दाना और भैंसों को 2.5 लीटर दूध पर 1 कि.ग्रा.दाना दिया जाता है।
14. जो पशु हल्का कार्य मतलब प्रतिदिन 4 घंटे तक कार्य करते हों उन बैलों को 1 कि.ग्रा. दाना। जो मध्यम कार्य (मतलब 4-6 घंटे तक) उन्हें 1.5 कि.ग्रा. दाना तथा जो भारी कार्य करने वाले मतलब 6-8 घंटे तक बैलों को 2 कि.ग्रा. दाना प्रतिदिन के हिसाब से जीवन-यापन करने वाले दाना में जोड़कर दाना दिया जाना चाहिए।
15. जो पशु गर्भित हो उन्हें भ्रूण विकास हेतु दाना 6 माह या इससे अधिक अवधि की गर्भवती देशी गाय को 1 कि.ग्रा.दाना तथा भैंस को 1.5 कि.ग्रा. प्रतिदिन भ्रूण विकास हेतु उनके जीवनयापन हेतु दिये जाने वाले दाने में जोड़कर दिया जाना चाहिए।
16. सूखे व हरे चारे की मात्रा में एक अनुपात दो और रसीले चारे खिलाने पर एक व तीन का अनुपात रखना चाहिए।
17. हे से 90 प्रतिशत ड्राई मैटर तथा हरे चारे से 30 प्रतिशत ड्राई मैटर प्राप्त होता है एवं रसीले चारे तथा बरसीम, मटर जैसे चारो से 20-25 प्रतिशत ड्राई मैटर प्राप्त होता है।
18. पशुओं द्वारा खाये जाने वाले चारे की मात्रा उसके शरीर भार तथा दुग्ध उत्पादन/कार्यक्षमता पर निर्भर करती है। बच्चों एवं वयस्क पशुओं को हरे तथा सूखे चारे, पौष्टिक मिश्रण, नमक तथा खनिज मिश्रण और दाने से बनाये गये आहार के घटकों की विभिन्न अनुपातों में आवश्यकता होती है।
19. आमतौर पर 450 कि.ग्रा.वजन वाले पशु को प्रतिदिन 3 कि.ग्रा.प्रोटीन, 2.5 कि.ग्रा. स्टार्च तथा 3-4 कि.ग्रा.पचनशील तत्वों की आवश्यकता होती है।
20. बछड़ों के ब्याने के प्रथम 3 दिन तक खीस जरूर पिलाना चाहिए। खीस में विटामिन “ए” तथा एण्टीबॉडीज होता है जिससे बच्चों की संक्रमित बीमारियों से रक्षा होती है। 1-2 माह तक के बछड़े को उसके शरीर भार का 10वाँ भाग की मात्रा दिन भर में बार-बार पिलाना चाहिए।
21. यदि बच्चे को खीस उपलब्ध न हो तो 1/2 चम्मच अण्डी का तेल, एक कच्चा अण्डा, गरम दूध में मिलाकर पहले 3 दिन तक दें, इसे दिन में 3 बार नित्य दें सकते हैं।
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