फल कि फसल कि पानी कि जरुरत फसल का प्रकार ( वार्षिक / द्वैवार्षिक / बहुवार्षिक ), फसल कि वृद्धी अवस्था, जमीन का प्रकार, हवामान इसपर निर्भर रहती है। फसल जरुरत अनुसार पानी दिया जाना चाहिये । कम पानी कि वजह से फसल को परेशानी होकर उत्पादन घट सकता है।
टपक सिंचाईसे 50% तक पानी कि बचत होकर 10 से 25 % उत्पादन में वृद्धी होती है । 25% खाद कि उपयोग में बचत हो सकती है । टपक सिंचाई का प्रबंधन शास्त्रीय ढंग से किया जाना चाहिये और उसके लिये निम्नलिखित मुद्दे ध्यान में रखने चाहिये ।
ड्रिपर का प्रवाह
1) ड्रिपर का प्रवाह निश्चित करने हेतू विभिन्न मुद्दे ध्यान में लेने होगे । ड्रिपर का प्रवाह जमीन के अंदर पानी जाने कि गती से काम होना इससे पानी जमीन पर जमा नही होगा। पानी अगर जमीन पर जमा हो गया तो उसका वाश्पीभवन हो जायेगा । ज्यादा देर तक अगर पानी जमीनपर जमा रहा तो सूक्ष्म वातावरण में बदलाव आयेंगे और इससे फसल को विभिन्न बिमारीया होने कि संभावना बढ जायेगी ।
२) भारी जमिनमे पानी अंदर जाने कि गती कम होती है, इसलिये ऐसी जमीन के लिये कम प्रवाह के ड्रिपर इस्तमाल करने चाहिये. इसके विरुद्ध हलकी जमीन में यह गती अधिक होती है इसलिये यहा ज्यादा प्रवाह वाले ड्रीपर इस्तमाल किये तो भी चलता है । फिर भी हलकी जमीन के लिये ड्रिपर का प्रवाह ज्यादा रखनेसे पानी सीधे जमीन के अंदर जाता है और अपेक्षित गीलापन नही मिलता है ।
3) ड्रिपर का प्रवाह ज्यादा कम भी नही होना चाहिये । ड्रिपर के छेद का व्यास बहुत कम होता है और वह जल्द हि बंद हो सकते है अथवा इसके लिये अच्छा फिल्टर यंत्रणा मे लगवाना चाहिये । वैसेही अगर प्रवाह बहुत कम रहा तो संच चलाने का कालावधी बढ जाता है ऐसी परिस्थिती में बिजली अगर काम समय तक हि उपलब्ध हो तो पुरा क्षेत्र गिला करना नामुंकीन है । इन सभी चीजों का विचार कर ड्रिपर का चुनाव करते समय साधारणतः उनका प्रवाह 2 से 4 लिटर प्रति घंटा होना चाहिये । ४) बाजार में उपलब्ध ऐसे ड्रिपर्स के लिये साधारणतः 10 मीटर (1.0 किलोग्रॅम/सेमी2) इतना दबाव लगता है ।
ड्रिपर कि संख्या :
1) फल पेड के लिये एक से ज्यादा ड्रिपर लग सकते है l ड्रिपर कि संख्या कम से कम इतनी होनी चाहिये कि पेडों का जड क्षेत्र पुरा गिला हो सके। ड्रिपर कि संख्या कार्यक्षम जड द्वारा व्यापित क्षेत्र को एक ड्रिपर से गिला होनेवाला क्षेत्र से भागकर निकाली जा सकती है ।
२) भारी जमिन में एक ड्रिपर से गिला होणे वाला क्षेत्र ज्यादा होता है इसलिये ड्रिपर कि संख्या कम होनी चाहिये । हलकी जमीन में एक ड्रिपर से गिला होणे वाला क्षेत्र कम होता है इसलिये ड्रिपर कि संख्या ज्यादा रखनी चाहिये ।
3) कुछ महत्वपूर्ण फल वृक्षों के लिये पुरे बढे हुये पेडो के लिये ड्रिपर्स कि संख्या-
अनार – 3 से 6 लिंबू/संत्रा – 4 से 8 आम /चिकू/नारियल – 6 से 15
दो ड्रिपर में अंतर :
१) कतारमें जो फसल लगायी जाती है (जैसे – केला, अंगूर अथवा ज्यादा घनता वाले फल पेड फसल) को टपक सिंचन प्रणालीसे पानी देते समय कतार का पुरा पट्टा गिला होना चाहिये इस तरह पानी देना चाहिये ।
2) फसल कि कतार का पुरा पट्टा गिला होना चाहिये इसलिये दो ड्रिपर में कितना अंतर रखना चाहिये ये महत्वपूर्ण है । दो ड्रिपर में कितना अंतर रखना चाहिये यह जमीन के प्रकार पर निर्भर है ।
३) भारी जमिन में एक ड्रिपर से ज्यादा क्षेत्र गिला होता है इसलिये दो ड्रिपर में अंतर ज्यादा होता है । वैसेही हलकी जमीन में यह अंतर कम होता है । विभिन्न जमीन प्रकार में साधारण दो ड्रिपर में कितना अंतर चाहिये इस संबंध में जानकारी नीचे दि हुई है ।
- भारी जमीन = 75 सें.मी. (2.5 फूट)
- मध्यम जमीन = 60 सें.मी. (2 फूट)
- हलकी जमीन = 45 सें.मी. (1.5 फूट)
- गहरी हलकी जमीन = 30 सें.मी. (1 फूट)
लॅटरल कि लंबाई और व्यास :
लॅटरल का व्यास | लॅटरल कि लंबाई |
12 मि.मी | 30 मीटर |
16 मि.मी | 50 मीटर |
20 मि.मी | 100 मीटर |
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